श्री हंस दास जी महाराज जी

परम पूजनीय परम तपस्वी श्री श्री हंस दास जी महाराज जी को कोटि कोटि प्रणाम !!

परम हंस श्री बाबा हंस दास जी का शुभ जन्म एक प्रतिषिठत ब्राह्राण परिवार में 24 जुलार्इ सन उन्नीस सौ दो (24-7-1902) को गांव सलोहवेरी (जि़ला होशियारपुर) वर्तमान जि़ला ऊना हिमाचल प्रदेश में हुआ था। इनके पिता जी का श्री बृजलाल था। यह दो भार्इ व दो बहने थी। श्री बृजलाल खेती बाड़ी का धन्धा करके अपने परिवार का पालन-पोषण किया करते थे। ज्योतिषी ने जन्म -कुण्डली में ग्रह दशा देख कर यह भविष्यवाणी की थी कि यह बालक बड़ा होकर संसार से विरक्त होगा, र्इश्वर भक्त होगा और संसार में एक महान तपस्वी सन्त होगा । बचपन में इनका नाम हंस राज था। 1910 में 8 वर्ष की आयु में इनको विधालय में दाखिल करा दिया गया। सन 1916 में जब श्री हंस राज जी छठी कक्षा में थे तो इनके पिता जी बहुत बीमार हुए और अपना शरीर त्याग दिया । इसके बाद इन्होने अपनी पढ़ार्इ बीच में ही छोड़ दी और एक वर्ष तक 1917 तक घर पर ही रहे।

1918 को यह अपने चचेरे भार्इ विशम्बर दास के पास लाहौर चले गये। वहां पर इन्होने लगभग 1 वर्ष तक छबील में पानी भरने का काम किया। उसके बाद वह करियाने की दुकान पर लग गये। फिर अचानक 1919 के मार्च महीने में इनकी माता जी बीमार हुर्इ और उन्होने भी शरीर त्याग दिया। माता जी के एक दम चले जाने से श्री हं स राज बहुत उदास रहने लगे। फिर वह वापिस लाहौर लौट गये। वहां पर करियाने की दुकान पर काम करते करते इनकी वाकफी रेलवे के एक उच्चाधिकारी से हो गर्इ तो उन्होने रेलवे में नौकरी दिलवा दी। जब हंस राज के सदाचार के प्रमाण पत्र की जांच सम्बन्धी कागज़ात (हुलिया तसदीक के कागजात) जि़ला होशियारपुर के थाना अम्ब में थानेदार को भेज दिये। जब सिपाही उनके कागज़ात लेकर इनके गांव सलोहवेरी पहुंचा ओर फिर विस्तृत जानकारी हेतु सिपाही इनके घर गया। लेकिन जब इनके घर वालों ने सिपाही को अपने घर आते देखा तो वह घबरा गये। सिपाही ने जब श्री हंस राज के हुलिया के बारे में पूछताछ की तब घरवालों ने सोचा कि हंस राज ने कोर्इ अनुचित कार्य कर दिया है|

जिसके कारण पुलिस हमें थाने में लिजाकर तंग और परेशान करेगी । इस बात को लेकर वह घबरा गये और उन्होने श्री हंस राज जी के साथ कोर्इ रिश्ता नाता न होने की बात कह डाली । जब रेल विभाग में बिना प्रमाणित हुलिया के कागज़ात वापिस आ गए तो तब विभाग के कर्मचारियों ने श्री हंसराज जी से पुन: गहन पूछताछ की तथा गांव से प्राप्त रिपोर्ट पढ़कर सुना दी। उसे सुनते ही युवक श्री हंसराज आश्चर्यचकित रह गये। उन्होने कभी स्वप्न में भी यह न सोचा था कि जिस परिवार के लिए वह दिन रात कड़ा परिश्रम करके धन दौलत कमा रहे हैं, वही उससे कोर्इ सम्बन्ध रखने व मानने के लिए तैयार नही होंगे।

ghatiwale baba ji
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मंत्र सिमरण करे -- मौक्श्र का मार्ग ।।